worship सम्यग्दर्शन सम्यग्ज्ञान, सम्यकचारित्र व सम्यक्तप इन चारों का यथायोग्य रीति से उद्योतन करना, उनमें परिणति करना, इनको दृढ़ता पूर्वक धारण करना, उसके मंद पड़ जाने पर पुनः पुनः जागृत करना, उनका आमरण पालन करना सो (निश्चय) आराधना कहलाती है। …
1. कुटिल भाव व मायाचारी को छोड़कर सरल शुद्ध हृदय से चारित्र का पालन करना आर्जव-धर्म कहलाता है। 2. मन, वचन और काय की ऋजुता अर्थात् सरलता का नाम आर्जव है।