पूर्वानुपूर्वी, पश्चातानुपूर्वी और यथातथानुपूर्वी या यत्रतत्रानुपूर्वी इस प्रकार आनुपूर्वी के तीन भेद हैं— जो पदार्थ जिस क्रम से सूत्रकार के द्वारा स्थापित किया गया हो अथवा जो पदार्थ जिस क्रम से उत्पन्न हुआ हो उसकी उसी क्रम से गणना करना …
जिस कर्म के उदय से एक गति से दूसरी गति में जाते हुए जीव के पूर्व शरीर का आकार नष्ट नहीं होता है वह आनुपूर्वी नामकर्म है। आनुपूर्वी नामकर्म के उदय से ही जीव का अपनी इच्छित गति में गमन …
जो स्त्री नपुंसक भेद प्रकृति के द्रव्य को तो पुरुष भेद में ही संक्रमण करता है तथा पुरुष हास्यादि छः और अप्रत्याख्यान व प्रत्याख्यान क्रोध का संज्वलन क्रोध में, अप्रत्याख्यान व प्रत्याख्यान मान का संज्वलन मान में संक्रमण करता है। …