हेत्वन्तर
विशेषों को लक्ष्य नहीं करके सामान्य रूप से हेतु के कहे चुकने पर पुनः प्रतिवादी द्वारा हेतु के प्रति- शोध हो जाने पर विशेष अंश को विवक्षित कर रहे वादी का हेत्वन्तर, निग्रह स्थान हो जाता है। जैसे व्यक्त एक प्रवृति है या प्रतिज्ञा है, एक प्रकृति वाले प्रकारों के परिणाम से यह हेतु है। मिट्टी से बने शराब आदिकों का परिमाण दृष्ट है। जितना प्रकृति का व्यूह होता है, उतना ही विकार होता है और यह परिमाण प्रतिव्यक्त है। वह एक प्रकृति वाले विकारों के परिमाण से देखा जाता है। इससे सिद्ध हुआ व्यक्त एक प्रकृति है।