षंड
स्त्री व पुरुषों दोनों प्रकार के लिंगों से रहित हो, वह नपुंसक या षंड कहलाते है। जिसके उदय से नपुंसक सम्बन्धी भावों को प्राप्त होता है, वह नपुंसक वेद है। नपुंसक वेद के उदय से और निर्माण नामकर्म सहित, अंगोपांग नामकर्म के उदय से स्त्री व पुरुष दोनों लिंग से रहित अर्थात् दाढ़ी-मूँछ व स्तनादि पुरुष व स्त्री योग्य द्रव्य लिंग से रहित देह से अंकित भव के प्रथम समय से लेकर उस भव के चरम समय पर्यंत तक द्रव्य नपुंसक होता है ।