विशुद्धि लब्धि
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प्रतिसमय अनंतगुणित हीन क्रम से उदीरित अनुभाग स्पर्धकों से उत्पन्न हुआ साता आदि शुभ कर्मों के बंध का निमित्त भूत और असाता आदि अशुभ कर्मों के बन्ध का विरोधी जो जीव का परिणाम है उसे विशुद्धि कहते हैं। उसकी प्राप्ति का नाम विशुद्धिलब्धि है।
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