रस परित्याग
नमक, शक्कर, दूध, दही, घी, और तेल इन सब रसों का त्याग करना अथवा एक-एक रस का त्याग करना रस परित्याग नाम का तप है अथवा घृत आदि गरिष्ठ रस का त्याग करना रस – परित्याग नाम का तप है । इन्द्रिय के उद्रेक का निग्रह करने के लिए, निद्रा पर विजय पाने के लिये और सुखपूर्वक स्वाध्याय की सिद्धि के लिए रस परित्याग नाम का तप किया जाता है।