रस नामकर्म
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जिस कर्म के उदय से रस में भेद होता है, वह रस नामकर्म है अथवा जिस कर्म के उदय से जीव के शरीर में जाति के अनुरूप तिक्त आदि रस उत्पन्न हो उसे रस नामकर्म कहते हैं। जो रस नामकर्म है वह पाँच प्रकार का है- तिक्त (तीखा या चरपरा) कटुक (कड़वा), कषायला, आम्ल (खट्टा) और मधुर (मीठा) ।
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