मृषानंदी रौद्रध्यान
हिंसा, असत्य, चोरी, विषय संरक्षण के लिए सतत् चिंतन करते रहना रौद्र ध्यान मृषानंद है। जो मनुष्य असत्य झूठी कल्पनाओं से पाप रूपी मैल से मलिन चित्त होकर जो कुछ चेष्टा करे, उसे निश्चय करके मृषानंद नाम रौद्र ध्यान कहा है। जो ठगाई के शास्त्र रचने आदि के द्वारा दूसरों को आपदा में डालकर धन आदि संचय करे, असत्य बोलकर अपने शत्रु को द्वंद दिलाये, वचन चातुर्य में मन बांछित प्रयोजनों की सिद्धि तथा अन्य व्यक्तियों को ठगने की भावनाएँ बनाये रखना मृषानंद रौद्रध्यान है। कठोर वचन आदि बोलना मृषानंद रौद्र ध्यान के बाह्य चिन्ह हैं ।