मुनिसुव्रतनाथ
बीसवें तीर्थंकर | मगध देश के राजगृह नगर में राजा सुमित्र और माता सोमा के यहाँ इनका जन्म हुआ। इनकी आयु तीस हजार वर्ष थी और शरीर बीस धनुष ऊँचा मयूरकंठ के समान नीली आभा वाला था। पंद्रह हजार वर्ष तक राज्य करने के उपरांत यागहस्ती नामक हाथी को देशव्रतों का पालन करते देखकर इन्हें वैराग्य हो गया और गृहत्याग कर जिनदीक्षा ले ली । ग्यारह माह की तपस्या के उपरांत इन्हें केवलज्ञान प्राप्त हुआ। इनके संघ में अठारह गणधर, तीस हजार मुनि, पचास हजार आर्यिकाएँ, एक लाख श्रावक और तीन लाख श्राविकाएँ थीं। इन्होंने सम्मेदशिखर से मोक्ष प्राप्त किया ।