माद्रव
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मृदुता का भाव होना माद्रव है। अथवा जाति आदि के अभिमान का अभाव होना माद्रव है जो मनस्वी पुरुष कुल, रूप, जाति, बुद्धि, तप, शास्त्र, शीलादि के विषय में थोड़ा सा भी घमण्ड नहीं करता उसके माद्रव धर्म होता है।
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