प्रशस्त उपशम
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उदय, उदीरणा, उत्कर्षण, अपकर्षण पर प्रकृति संक्रमण स्थिति काण्डकघात अनुभाग काण्डक घात के बिना ही कर्मों के सत्ता में रहने को प्रशस्त उपशम कहते हैं। यह उपशम चारित्र मोह का होता है।
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