प्रतिष्ठापन समिति
जहाँ स्थावर या त्रस जीवों की विराधना न हो ऐसे निर्जन्तु स्थान में मल-मूत्र आदि का विसर्जन करना प्रतिष्ठापन समिति है, इसे उत्सर्ग समिति भी कहते हैं। प्रतिष्ठान शुद्धि में तत्पर मुनि देश व काल को जानकर नख, रोम, नाक, थूक, मल, मूत्र या देह परित्याग में जन्तु – बाधा का परिहार करके प्रवृत्ति करता है, जो स्थान एकान्त में हो, प्रासुक हो, वसतिका से पर्याप्त दूर हो, ढका या छिपा हुआ हो, बिल व छेदरहित तथा चौड़ा हो, जहाँ कोई निन्दा या विरोध न करे, ऐसा स्थान ही प्रतिष्ठापन समिति के योग्य माना गया है।