पार्श्वकृष्टि
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पूर्व समय विषय करें जो कृष्टि तिनि के समान अनुभाग लिए जो नवीन कृष्टि, द्वितीय आदि समय में की जाती है, वे पार्श्वकृष्टि कहलाते हैं। क्योंकि समान होने के कारण पंक्ति विषै पूर्व कृष्टि के पार्श्व में ही उनका स्थान है।
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