परघात नामकर्म
1. जिस कर्म के उदय से परशस्त्रादि का निमित्त पाकर व्याघात होता है वह परघात नामकर्म है। 2. पर अर्थात् दूसरे जीवों के घात को परघात कहते हैं। जिस कर्म के उदय से शरीर में पर का घात करने में कारणभूत पुद्गल का संचय होता है वह परघात नामकर्म कहलाता है। जैसे सांप की दाढ़ों में विष, बिच्छु का डंक, सिंह, चीता आदि में तीक्ष्णनख व दांत आदि तथा धतूरा आदि विषैले वृक्ष पर को दुख उत्पन्न करने वाले हैं।