निर्ग्रन्थ
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1. धन-धान्यादि परिग्रह को ग्रन्थ कहते हैं। अतः जो समस्त बाह्य और अंतरंग परिग्रह से रहित हैं वे निग्रंथ साधु कहलाते हैं। 2. अन्तर्मुहूर्त के उपरान्त जिन्हें केवलज्ञान प्रगट होने वाला है वे निग्रंथ कहलाते हैं।
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