नक्षत्र
ज्योतिषी देवों के भेद – ज्योतिषी देव पाँच प्रकार के होते हैं। सूर्य, चन्द्र ग्रह, नक्षत्र और प्रकीर्णक, तारे । प्रत्येक चन्द्रमा के परिवार में 28 नक्षत्र होते हैं । चन्द्र की 15 गलियों के मध्य उन 28 नक्षत्रों की 8 ही गलियाँ होती हैं। सब नक्षत्रों के गगन खण्ड 54900 है। कृतिका नक्षत्र के अस्तमन काल में मघा मध्यान्ह और अनुराधा उदय को प्राप्त होता है। इसी प्रकार शेष नक्षत्रों के भी उदयादि को जानना चाहिए। जिस समय किसी विवक्षित नक्षत्र का अस्तमन होता है, उस समय उससे आठवां नक्षत्र उदय को प्राप्त होता है। इस नियम के अनुसार कृतिकादिक के अतिरिक्त शेष नक्षत्रों भी अस्तमन मध्यान्ह और उदय को स्वयं ही जान लेना चाहिए। 28 नक्षत्र – कृतिका, रोहिणी, मृगशिरा, आर्द्रा, पुनर्वसु,पुष्य, अश्लेषा, मघा, पूर्वाफाल्गुनी, उत्तरा फाल्गुनी, हस्त, चित्रा, स्वाति, विशाखा, अनुराधा, ज्येष्ठा, मूल, पूर्वाषाढ़ा, उत्तराषाढ़ा, अभिजीत, श्रवण, धनिष्ठा, शतभिषा, पूर्वाभाद्रपद, रेवती, अश्विनी, भरणी ।