द्रव्य प्रतिक्रमण
उद्गम आदि दोषयुक्त, वसतिका, क्षेत्र प्रतिक्रमण – पानी, कीचड़, त्रस जीव या स्थावर जीवों से व्याप्त क्षेत्र तथा जहाँ रत्नत्रय की हानि हो ऐसे प्रदेश का त्याग करना क्षेत्र प्रतिक्रमण है। काल प्रतिक्रमण– रात्रि में तीनों संध्याकालों में स्वाध्यायकाल में, आवश्यक क्रिया के काल में आने जाने का त्याग करना काल प्रतिक्रमण है । उपकरण व आहार आदि का त्याग करना तथा अयोग्य इच्छा, उन्मत्तता व संक्लेश बढ़ाने वाले आहार आदि का त्याग करना द्रव्य प्रतिक्रमण है।