मैनासुन्दरी
मालव देश में उज्जैनी नगरी के राजा पुहुपाल की पुत्री थी। पिता के सम्मुख कर्म की बलवत्ता का बखान करने के कारण पिता ने क्रोध वश कुष्ठि (कोटिभट्ट श्रीपाल) के साथ विवाह दी । पति की खूब सेवा की तथा मुनियों के कहने पर सिद्धचक्र विधान करके उसके गंधोदक द्वारा उसका कुष्ठ दूर किया। अंत में दीक्षा धारण करके स्त्री लिंग का छेद कर सोहलवें स्वर्ग में देव हुआ।