मार्गोपसम्पत
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अपने संघ से आये मुनि और अपने स्थान में रहने वाले मुनियों से आपस में आने-जाने के विषय में कुशल पूछना, वह संयम, तप, ज्ञान, योग, गुणोंकर सहित मुनिराजों के मार्गोपसम्पत है।
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