मारणान्तिक समुद्घात
अपने वर्तमान शरीर को नहीं छोड़कर ऋजुगति द्वारा या विग्रहगति द्वारा आगे जिसमें उत्पन्न होना है ऐसे क्षेत्र तक जाकर अन्तमुहूर्त तक रहने का नाम मारणान्तिक समुद्घात है अथवा मरण के अन्त में होने वाला तथा आगामी भव की उत्पत्ति के स्थान पर्यन्त जीव के प्रदेशों का फैलना जिसका लक्षण हो वह मारणान्तिक समुद्घात है। जिन्होंने आगामी भव की आयु का बंध कर लिया है ऐसे जीवों के ही मारणान्तिक समुद्घात होता है। यह समुद्घात नियम से आगे जीव को जहाँ उत्पन्न होता है ऐसे क्षेत्र की दिशा के अभिमुख होता है तथा समुद्घात की लम्बाई उत्कृष्ट रूप से अपने उत्पद्यामान क्षेत्र के अन्त तक ही होती है पूर्व शरीर को नहीं छोड़ते हुए भी जीव प्रदेशों का जो प्रसार होता है वह निष्करण नहीं है क्योंकि वह आगामी भव सम्बन्धी आयुवर्ग के सत्व का फल है।