मज्जानुराग
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साधर्मी जनों के प्रति ऐसा सुदृढ़ अनुराग होना जो विपत्ति या विषम परिस्थिति आने पर भी परस्पर अस्थि व मज्जा के समान न छूटे अर्थात् बना रहे, इसे मज्जानुराग कहते हैं।
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