जिनेन्द्र भगवान ने आत्मा को जैसा जाना, वैसा ही है – इस प्रकार की प्रतीति का नाम श्रद्धान है अथवा तत्वार्थ के विषय में उन्मुख बुद्धि को श्रद्धा कहते हैं। दृष्टि, श्रद्धा, रुचि और प्रीति ये एकार्थवाची शब्द हैं। जो …
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