1. व्रतों की रक्षा को शील कहते हैं अथवा जिसके द्वारा व्रतों की रक्षा की जाय उसको शील कहते हैं। तीन गुणव्रत व चार शिक्षाव्रत ये सात शील कहलाते है । 2. पंचेन्द्रिय के विषयों से विरक्त होना बह्मचर्य या …
अंहिसा आदि व्रत है और इनके पालन करने के लिए क्रोधादि का त्याग करना शील है। इन दोनों के पालन करने में निर्दोष प्रवृत्ति करना शीलव्रतेष्वनतिचार है अथवा हिंसा, झूठ, चोरी, अब्रह्म और परिग्रह से विरत होने का नाम व्रत …