शंका अर्थात् मोह- राग-द्वेष आदि साध्वस भीति और भय ये सब एकार्थवाची है। शंका का अर्थ संशय और भय भी है। पिच्छिका वगैरह उपयोगी द्रव्यों में से ये सचित्त है ये अचित्त है, शंका होने पर उन्हें मोड़ना, झाड़ना, भक्षण …
शंकित जो हेतु विपक्ष में संशय रूप से रहे उसे शंकित वृत्ति अनैकान्तिक कहते हैं। जैसे- सर्वज्ञ नहीं हैं, क्यों कि वक्ता हैं। दूसरे का गर्भस्थ मैत्री पुत्र श्याम होना चाहिए क्योंकि मैत्री का पुत्र है, दूसरे मैत्री के पुत्रों …