शंका
शंका अर्थात् मोह- राग-द्वेष आदि साध्वस भीति और भय ये सब एकार्थवाची है। शंका का अर्थ संशय और भय भी है। पिच्छिका वगैरह उपयोगी द्रव्यों में से ये सचित्त है ये अचित्त है, शंका होने पर उन्हें मोड़ना, झाड़ना, भक्षण करना । आहार उपकरण वसति ये पदार्थ उद्गम आदि दोष रहित है अथवा नहीं ऐसी शंका आने पर वे स्वीकार करना यह शंकितातिचार है।