शत्रु, दैत्य, सिंह, अष्टापद, सप्र इत्यादि क्रूर प्राणी अपनी क्रूरता को छोड़ देते हैं और यह जगत्, रोग, वैर, प्रतिबन्ध, विभ्रम, भय आदि से रहित हो जाता है। इस पृथ्विी में ऐसा कौन सा कार्य है जो योगीश्वरों के समभावों …
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