जिसमें ज्ञान, दर्शन आदि पाँच प्रकार की विनय का वर्णन किया गया है वह वैनयिक नाम का अंगबाह्य है ।
सब देवता और सब मतों को एक समान मानना वैनयिक मिथ्यात्व है अथवा ऐहिक और पारलौकिक सुख सभी विनय से ही प्राप्त होते हैं न कि ज्ञान, दर्शन, तप और उपवास जनित क्लेशों से – ऐसे अभिनिवेश का नाम वैनयिक …