वात, पित्त आदि विकार जनित रोग या विषपान आदि की तीव्र वेदना से आत्म-प्रदेशों का बाहर निकलना वेदना समुद्घात है किन्तु तरतम रूप से स्थित वेदना के अनुसार अपनी चौड़ाई की अपेक्षा एक दो प्रदेश आदि से भी वृद्धि होती …
अनुभव करने का नाम वेदना है। ‘वेदना’ सुख-दुःख दोनों रूप होती है पर यहाँ आर्तध्यान का प्रकरण होने से वेदना का अर्थ दुःख है। रोगादि जनित वेदना के होने पर उसे दूर करने की सतत चिन्ता करना वेदना नाम का …
जो वेदन कराता है या जिसके द्वारा वेदन (अनुभव) किया जाता है वह वेदनीय कर्म है। | वेदनीय कर्म का स्वभाव सुख व दुख का संवेदन कराना है वेदनीय कर्म की दो प्रकृतियाँ है सातावेदनीय और असातावेदनीय । जिसके उदय …
अपनी छाती के स्तन भाग मद्रन करना अथवा दोनों भुजाओं से दोनों घुटने बाँधकर वन्दना आदि के लिए बैठना वेदिका बद्ध नामक वन्दना का दोष है ।