ज्ञान रूप परिणाम परिणमन करता हुआ, “यह पूर्व ज्ञान रूप नहीं है यह विसदृश्य का उदाहरण है। क्योंकि विवक्षित परिणाम का जो सत्व है दूसरे समय पर्यायार्थिक नय से उसका वह सत्व नहीं है।
पहले अनुभव की हुई गाय को लेकर भैंसा में रहने वाले विसदृशता प्रत्यभिज्ञान का विषय है। इस तरह का ज्ञान विसदृश प्रत्यभिज्ञान कहलाता है।
“disintegration” or “separation”. उपशम व क्षायिक सम्यक्त्व प्राप्ति विधि में अनंतानुबंधी क्रोध, मान, माया, लोभ का अप्रत्याख्यानादि क्रोध, मान, माया, लोभ रूप से परिणमित हो जाना विसंयोजना कहलाता है। विसंयोजना का लक्षण कषायपाहुड़/2/2-22/246/219/6 का विसंयोजना।अणंताणुबंधिचउक्कक्खंधाणं परसरूवेण परिणमनं विसंयोजना।= अनंतानुबंधी चतुष्क के स्कंधों …