सत्पुरुष वे मुनि विनय रहित कठोर भाषा को और धर्म के विरुद्ध वचनों को छोड़ देते हैं। अन्य भी विरोध जनक वाक्यों को नहीं बोलते, वे नेत्रों से सब कुछ योग्य अयोग्य देखते हैं और कानों से सब तरह के …
आदर पूर्वक वचनों से बोलना, हित रूप बोलना, थोड़ा बोलना, मिष्ट बोलना, आगम के अनुसार बोलना, कठोरता रहित बोलना तथा अभिमान रहित वचन बोलना वाचिक-विनय है ।