वाचना
निर्दोष ग्रन्थ, उसके अर्थ का उपदेश अथवा दोनों ही योग्य व्यक्ति को प्रदान करना वाचना है अथवा शिष्यों को पढ़ाने का नाम वाचना है वह चार प्रकार की है – नन्दा, भद्रा, जया और सौम्या । अनेक मत-मतान्तरों का निराकरण करते हुए सत्य धर्म को स्थापित करने वाली व्याख्या नंदा – वाचना कहलाती है। तर्कसंगत समाधान देते हुए जिनागम में कहे गए जीवादि तत्त्वों की व्याख्या करना भद्रा वाचना है। जिनेन्द्र भगवान के द्वारा कहे गए सिद्धान्त के अर्थों की व्याख्या करना जया वाचना है। व्याकरण सम्बन्धी दोषों का ध्यान न देते हुए सरल और सुबोध व्याख्या करना सौम्या वाचना कहलाती है।