हार-जीत के अभिप्राय से हेतु या दूषण देते हुए जो चर्चा की जाती है वह विजिगीषु कथा या वाद है अथवा जिसमें अपने पक्ष की स्थापना प्रमाण से, प्रतिपक्ष का निराकरण तर्क से परन्तु सिद्धान्त से अविरुद्ध हो तथा जो …
जिस ऋद्धि के प्रभाव से साधु, इन्द्र के समान ज्ञानवान् और वाद-विवाद करने में निपुण वादी को भी युक्तियुक्त समाधान के द्वारा निरूत्तर करने में समर्थ है उसे वादित्व – ऋद्धि कहते हैं।