वाद
हार-जीत के अभिप्राय से हेतु या दूषण देते हुए जो चर्चा की जाती है वह विजिगीषु कथा या वाद है अथवा जिसमें अपने पक्ष की स्थापना प्रमाण से, प्रतिपक्ष का निराकरण तर्क से परन्तु सिद्धान्त से अविरुद्ध हो तथा जो अनुमान के पाँच अवयवों से युक्त है वह वाद कहलाता है वादी या जीत की इच्छा रखने वाले के दो कर्तव्य होते हैं स्वपक्ष में हेतु देना तथा परपक्ष में दूषण देना ।