जिस कर्म के उदय से शरीर में वर्ण की उत्पत्ति होती है वह वर्ण नामकर्म है अथवा जिसके निमित्त से वर्ण में विभाग होता है वह वर्ण नामकर्म है जैसे भौंरा, कोयल, हंस, बगुला आदि में निश्चित वर्ण पाए जाते …
भरत क्षेत्र में भगवान ऋषभदेव ने क्षत्रिय, वैश्य व शूद्र इन तीन वर्गों की स्थापना की थी बाद में भरत चक्रवर्ती ने एक ब्राह्मण वर्ण की स्थापना और कर दी। भरत चक्रवर्ती ने सद्व्रती गृहस्थों की परीक्षा करने के लिए …
यथोक्त पूजन विधि पूर्वक पिता उसको कुछ सम्पत्ति व घर आदि देकर धर्म और न्याय पूर्वक जीवन बिताते हुए पृथक रहने के लिए कहता है।