उत्कृष्ट मिश्रण होना द्यवन है। अर्थात् आत्मा की सम्यग्दर्शनादिरूप परिणति होना उद्यवन शब्द का अर्थ है । प्रश्न – सम्यग्दर्शनादि तो आत्मा से अभिन्न हैं तब उनका उसके साथ सम्मिश्रण होना कैसे कहा जा सकता हैं ? उत्तर- यहाँ पर …
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