देखिये यज्ञ |
जो कंठगत प्राण होने पर भी आहार, औषधि आदि की याचना नहीं करता याचना परीषहजय है जो बाह्य और अभ्यन्तर तप के अनुष्ठान करने में तत्पर है जिसका तप की भावना से शरीर अत्यन्त कृश हो गया जो प्राणों का …
ज्ञान के उपकरण शास्त्र, संयम के उपकरण पिच्छी आदिक मेरे को दो, ऐसा कहना याचनी भाषा है।