भोजन, पान गंध, माला आदि पंचेन्द्रिय सम्बन्धी विषय सामग्री जो एक बार भोग करके पुनः भोगने में न आवे वह भोग है। स्पर्शन और रसना इन दो इन्द्रियों के विषय अर्थात् स्पर्श और रस ये दो ‘काम’ है तथा घ्राण, …
जिस कर्म के उदय से जीव भोगने की इच्छा करता हुआ भी नहीं भोग पाता उसे भोगान्तराय कर्म कहते हैं ।
रागादि भाव घटाने के लिए परिग्रह परिमाण व्रत में की गई मर्यादा में भी आवश्यक इन्द्रिय – विषय सामग्री का प्रतिदिन परिमाण कर लेना भोगोपभोग परिमाण नामक गुणव्रत है। (कुछ आचार्यों ने इसे शिक्षाव्रत माना है) यान, वाहन, भोजन, वस्त्र, …