साधारण बोलचाल को भाषा कहते हैं भाषा दो प्रकार की है अक्षरात्मक और अनक्षरात्मक। जिसमें शास्त्र की रचना होती है तथा जिससे आर्य और म्लेच्छ मनुष्यों का व्यवहार चलता है ऐसी संस्कृत या अन्य भाषा अक्षरात्मक-भाषा कहलाती है संज्ञी पंचेन्द्रिय …
भाषावर्गणा के स्कन्धों के निमित्तों से चार प्रकार की भाषा रूप से परिणमन करने की शक्ति के निमित्तभूत नोकर्म कर्म पुद्गल प्रचय की प्राप्ति को भाषा पर्याप्ति कहते हैं ।
1. झूठादोष लगाने रूप पैशुन्य वचन, हास्य वचन, कठोर वचन, परनिंदा, आत्म प्रशंसा और विकथा रूप वचनों को छोड़कर स्व-पर हितकारक वचन बोलना भाषा – समिति है। 2. स्व पर हितकारक, निरर्थक बकवाद रहित मित, स्पष्ट व्यक्ताक्षर और असंदिग्ध वचन …
सत्यभाषा, मोषभाषा, सत्यमोष भाषा, असत्यमोष भाषा के जिनद्रव्यों को ग्रहण कर सत्यभाषा, मोषभाषा, सत्यमोषभाषा, असत्यमोष भाषा के रूप से परिणमाकर जीव उन्हें निकालते हैं, उन द्रव्यों की भाषा द्रव्य वर्गणा संज्ञा है ।