जिसके सम्यग्दर्शन आदि भाव प्रकट होने की योग्यता है वह भव्य कहलाता है जो भव्य जीव है उनमें कोई संख्यात कोई असंख्यात व कोई अनन्तकाल सिद्ध होंगे और कुछ ऐसे हैं जो अनन्तकाल में ही सिद्ध नहीं होंगे। आसन्न भव्य, …
विष, कूट, यंत्र, पिंजरा, कन्दक और पशु को बांधने का जाल आदि और इनको करने वाले और इन्हें इच्छित स्थानों में रखने वाले स्पर्शन के योग्य होंगे परन्तु अभी उन्हें स्पर्श नहीं करते, वह सब भव्यस्पर्श है।