आचार्य के द्वारा दिये हुये प्रायचित्त में अश्रद्धान करके या आलोचक मुनि यदि अन्य को पूछेगा, अर्थात् आचार्य महाराज द्वारा दिया गया प्रायश्चित्त योग्य है या अयोग्य है, ऐसा पूछेगा तो यह आलोचना का बहुजन पृच्छा नाम का आठवाँ दोष …
बहुश्रुत भावों की विशुद्धता के साथ अनुराग रखना बहुश्रुतभक्ति है। जो बारह अंगों के पारगामी है वे बहुश्रुत कहे जाते हैं। उनके द्वारा उपदिष्ट, आगमार्थ के अनुकूल प्रवृत करने या उक्त अनुष्ठान के स्पर्श को बहुश्रुत भक्ति कहते हैं । …