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नं नक नग नद नप नम नय नर नव ना नि नी ने नै नो न्
नो  नोक नोत
23 July

नो 

  • Posted by kundkund
  • Comments 0 comment

जग में ‘न’ यह शब्द प्रसक्त समस्त अर्थ का तो प्रतिछेद करता ही है, परन्तु किन्तु वह प्रसक्त अर्थ के अवयव अर्थात् एक देश में अथवा उससे भिन्न अर्थ में रहता है। अर्थात् उसका बोध करता है ‘नो’ यह शब्द …

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23 July

नो इन्द्रिय 

  • Posted by kundkund
  • Comments 0 comment

यहाँ “नञ्” का प्रयोग “ईषद्” अर्थ में किया है, ईषत् इन्द्रिय अनिन्द्रिय, जैसे ब्राह्मण कहने से ब्राह्मणत्व रहित किसी अन्य पुरुष का ज्ञान होता है, वैसे अनिन्द्रिय कहने से इन्द्रिय रहित किसी अन्य पदार्थ का बोध नही करना चाहिए। जैसे …

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23 July

नो कर्माहार 

  • Posted by kundkund
  • Comments 0 comment

शरीर की स्थिति में निमित्तभूत और पुण्य रूप जो असाधारण अनंत परमाणु प्रतिक्षण अर्हन्त भगवान के शरीर से संबंध को प्राप्त होते हैं उसे नो-कर्माहार कहते हैं । अर्हन्त भगवान के एकमात्र नो-कर्माहार ही होता है ।

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23 July

नो कषाय 

  • Posted by kundkund
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ईषत् या अल्प कषाय को नो-कषाय कहते हैं। जिस कर्म के उदय से जीव हास्य आदि का वेदन करता है वह नो – कषाय – वेदनीय कर्म है। इसके नौ भेद हैं हास्य, रति, अरति, शोक, भय, जुगुप्सा, स्त्रीवेद, पुरूषवेद …

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23 July

नो संसार 

  • Posted by kundkund
  • Comments 0 comment

चतुर्गति में परिभ्रमण न होने से तथा अभी मोक्ष की प्राप्ति न होने को संयोगकेवली को जीवनमुक्त अवस्था ईषत्संसार या नो संसार है ।

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