नो
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जग में ‘न’ यह शब्द प्रसक्त समस्त अर्थ का तो प्रतिछेद करता ही है, परन्तु किन्तु वह प्रसक्त अर्थ के अवयव अर्थात् एक देश में अथवा उससे भिन्न अर्थ में रहता है। अर्थात् उसका बोध करता है ‘नो’ यह शब्द स्व और पर के योग से विवक्षित वस्तु के एक देश का प्रतिषेदक और विधायक होता है।
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