जिस कर्म के उदय से जीव का जन्म लोकनिन्दित अर्थात् हिंसक, दुराचारी, दुःख से पीड़ित, दरिद्र कुल में हो उसे नीच-गोत्र कहते हैं ।
विषयों में आसक्त, मतिहीन, मानी, विवेक शून्य, मन्द, आलसी, कायर, प्रचर मात्रा प्रपंच, निद्रालु, लोभ से अंध, धन-संपत्ति आदि का इच्छुक और आहारादि संज्ञाओं में आसक्त जीव नील लेश्या वाला है। यह सब नील लेश्या के लक्षण हैं।