नील
नील वर्ण होने के कारण इस पर्वत को नील कहते हैं। वासुदेव कृष्ण की संज्ञा की तरह यह संज्ञा है यह विदेह और रम्यक क्षेत्र की सीमा पर स्थित है। इस पर पर्वत पर नौ कोट है इसकी विशेषता है कि इस पर स्थित द्रह नाम का केशरी है। यह क्षेत्र विदेह के उत्तर और रम्यक क्षेत्र के दक्षिण दिशा में दोनों क्षेत्रों को विभक्त करने वाला निषध पर्वत के समान है।