पंचपरमेष्ठी के गुणों का स्मरण और कीर्तन करना तथा हाथ जोड़कर चरणों में झुकना नमस्कार कहलाता है। जिनेन्द्र के ज्ञानादिक का कीर्तन करना, मन, वचन, काय की अपेक्षा तीन प्रकार का है जिसमें कायिक प्रणाम पाँच तरह का है। केवल …
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