प्रज्ञात पदार्थ के जानने की इच्छा का नाम जिज्ञासा है। ईहा, ऊहा, तर्क, परीक्षा, विचारणा और जिज्ञासा ये सब एकार्थवाची हैं।
नैसर्ग्यवृत्ति का नाम जित है। अर्थात् जिस संस्कार से पुरुष भावागम अस्खलित रूप से संचार करता है उससे युक्त पुरुष और भावागम भी जित इस प्रकार का कहा जाता है।
जो इन्द्रियों को जीतकर ज्ञान स्वभाव के द्वारा अपनी आत्मा को जानते हैं और जो निश्चय नय में स्थित साधु हैं। वे जितेन्द्रिय हैं । इन्द्रियों की प्रवृत्ति और निवृत्ति दोनों में मन की प्रधानता है अतः मन को जीतने …