जितेन्द्रिय
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जो इन्द्रियों को जीतकर ज्ञान स्वभाव के द्वारा अपनी आत्मा को जानते हैं और जो निश्चय नय में स्थित साधु हैं। वे जितेन्द्रिय हैं । इन्द्रियों की प्रवृत्ति और निवृत्ति दोनों में मन की प्रधानता है अतः मन को जीतने पर मनुष्य जितेन्द्रिय होता है।
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