1. द्रव्यों के आपस में भेद रहते हुए भी जिससे समान बुद्धि उत्पन्न हो उसे जाति कहते हैं अथवा तद्भव और सादृश्य लक्षण वाले सामान्य को जाति कहते हैं। गौ, मनुष्य, घड़ा, वस्त्र, स्तम्भ आदि जाति निमित्तक है। 2 माता …
जिस कर्म के उदय से जीव एकेन्द्रिय, द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय, चतुरिन्द्रिय और पंचेन्द्रिय कहलाता है वह जाति नामकर्म है।
साधर्म्य और वैधर्म्य जो प्रत्यवस्थान (दूषण) दिया जाता है, उसको जाति कहते हैं। एकान्तवादियों की भांति मिथ्या उत्तर देना जाति है। अर्थात् प्रमाण से उत्पन्न उपयन साध्य रूप धर्म में सद्भूत दोष का उठाना तो सम्भव नहीं है, ऐसा समझ …