पूर्वोक्त लक्षण सहित छल जाति और निग्रहस्थान से साधक का निषेध जिसमें किया जाए उसे जल्प कहते हैं । यद्यपि छल, जाति व निग्रहस्थान अपने पक्ष के साधक नहीं होते, तथापि दूसरे के पक्ष का खण्डन करके अपने पक्ष की …
जिस ऋद्धि के प्रभाव से साधु के शरीर पर पसीने के माध्यम से संचित हुई धूल भी औषधि रूप हो जाती है उसे जल्लौषधि- ऋद्धि कहते हैं।