साधु के आहार करते समय किसी जीव-जन्तु आदि का घात हो जाने पर जन्तु – वध नाम का अन्तराय होता है।
तीर्थंकर के जन्म का उत्सव जन्म कल्याणक कहलाता है तीर्थंकर का जन्म होने पर देव भवनों व स्वर्ग में घंटा आदि स्वयमेव बजने लगते हैं और इन्द्रों के आसन कम्पायमान हो जाते हैं जिससे उन्हें तीर्थकर के जन्म का निश्चय …